मुझे बहुत अच्छे से स्मरण है वह 14 नवंबर का दिन था।उस दिन हमारे स्कूल में खेल दिवस मनाया जा रहा था। मैं तब नवीं कक्षा में पढ़ती थी।उस दिन मैंने भी खेल में भाग लिया था।सौ मीटर की रेस में भी और बाधा दौड़ में भी। सौ मीटर की दौड़ में दूसरे स्थान पर रही । उसके पश्चात् मुझे बाधा दौड़ में हिस्सा लेना था। ए,सुन! मैंने हैरानी से जिधर से आवाज़ आई थी, देखने लगी,वह मुझे मेरी बांँह पकड़ कर एक तरफ़ ले गई ,एक लड़की मेरी ही कक्षा की थी,जो थोड़ी बड़ी थी, पर हमारी ही सहपाठी थी, मैंने थोड़ा खीझते हुए अपना हाथ छुड़ाते हुए पूछा,"क्या है सुमन? तुम मुझे बाहर क्यों ले आई हो, वहाँ बाधा दौड़ की प्रतिस्पर्धा होने वाली है"। "अरुणा मेरी बात ध्यान से सुनो, तुम इस दौड़ में शामिल मत होओ," सुमन ने बड़ी बहन की तरह हक जताते हुए कहा । मैं उससे छिटककर दूर हो गई और एक तरह से चिल्ला कर बोली," क्या है सुमन, तुम मुझे बाहर क्यों निकाल कर लाई हो,वहाँ बाधा दौड़ शुरू हो गई है" । सुमन ने मेरे कान में फुसफुसा कर कहा,"तेरे कपड़े गंदे हो रहे हैं "। "हां,तो क्या?,"मैंने बड़ी लापरवाही ...