सावन

आज सावन का
पहला रविवार है
मन झूमने को तैयार है।
सड़कों पर पानी भरा है
यहाँ वहाँ जहाँ तहाँ
पानी ही पानी है
फिर भी मन मोर
बनने को तैयार है।
आज सावन का
पहला रविवार है।
मन झूमने को तैयार है।
कहीं नाली रुकी हैं
प्लास्टिक की थैलियाँ
फँसी पड़ी हैं
किसी को नहीं पड़ी है
सड़क रुकी पड़ी है
मेरी बला से ।
हर कोई निकल रहा
सोचकर मन बेबाक़ है।
फिर भी मेरा मन
उड़ने को बेकरार है ।
आज सावन का
पहला रविवार है।
मन झूमने को तैयार है।

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