स्वर्गीय श्री सुखदेव कालिया जी की लिखी पुस्तक "जीवन -ज्योति "पूर्णतया उनके अपने निजी अनुभवोँ का
संग्रह है ।इसका कथा- प्रवाह संत महात्माओं के भक्ति -पथ की ओर अग्रसर करता है ।कुच्छ झलकियां निम्न है ।
अपार सत्ता का आभास
पन्द्रह अगस्त 1947 को भारत आजाद हो गया और दुर्भाग्य से देश के दो टुकड़े हो गय। एक हिन्दुस्तान बना और दूसरा पाकिस्तान के नाम से जाना जाने लगा। उन दिनों जो ख़ून ख़राबा हुआ वह किसी से छिपा नहीं है ..........उस समय मुझे फिरोजपुर कालोनी के उस वृद्ध पुजारी की भविष्यवाणी बरबस स्मरण हो आई जिसमें उन्होंने दो वर्ष पूर्व ही हिंदुस्तान के बँटवारे के संकेत दिए थे ।*
" माँ भगवती की कृपा "
रोज की तरह आसन लगाकर मैंने गायत्री जाप शुरू कर दिया ...............इतनी बात सुनकर मेरे मन में ख़ुशी की लहर दौड़ गई ।दोनों हाथ जोड़ कर मैंने उनसे प्रार्थना की कि मुझे भक्ति का मार्ग दिखाइए ।
संग्रह है ।इसका कथा- प्रवाह संत महात्माओं के भक्ति -पथ की ओर अग्रसर करता है ।कुच्छ झलकियां निम्न है ।
अपार सत्ता का आभास
पन्द्रह अगस्त 1947 को भारत आजाद हो गया और दुर्भाग्य से देश के दो टुकड़े हो गय। एक हिन्दुस्तान बना और दूसरा पाकिस्तान के नाम से जाना जाने लगा। उन दिनों जो ख़ून ख़राबा हुआ वह किसी से छिपा नहीं है ..........उस समय मुझे फिरोजपुर कालोनी के उस वृद्ध पुजारी की भविष्यवाणी बरबस स्मरण हो आई जिसमें उन्होंने दो वर्ष पूर्व ही हिंदुस्तान के बँटवारे के संकेत दिए थे ।*
" माँ भगवती की कृपा "
रोज की तरह आसन लगाकर मैंने गायत्री जाप शुरू कर दिया ...............इतनी बात सुनकर मेरे मन में ख़ुशी की लहर दौड़ गई ।दोनों हाथ जोड़ कर मैंने उनसे प्रार्थना की कि मुझे भक्ति का मार्ग दिखाइए ।
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