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इच्छा या तृष्णा

बलवती इच्छाएं ही तृष्णा का रूप ले लेती है।तृष्णा में भौतिक सुख समृद्धि की प्राप्ति की कामना निहित होती है । जबकि इच्छा दान पुण्य उर्ध्वगामी होने की अधिक होती है।भारतीय दर्शन के सन्दर्भ में तृष्णा का अर्थ 'प्यास, इच्छा या आकांक्षा' से है। तृष्णां, तृ मतलब तीन, इष्णा मतलब लालच, ।तीन लालच, पहला धन का लालच, दूसरा पुत्र का लालच, तीसरा सम्मान का लालच। कुछ ऐसा पाने की चाह करना जो हमारे पास नही है इच्छा कहलाती है। इच्छा किसी ऐसी वस्तु या व्यक्ति की भी हो सकती है जिसे पाना मुश्किल या कभी-कभी नामुमकिन भी होता है। इच्छा मन से उठने वाला वह प्रबल भाव है जो हमे कुछ न कुछ प्राप्त करने के लिये उत्साहित करता है। जिस चीज को पाने की इच्छा होती है उसे लक्ष्य बनाकर चलना ही सम्पूर्ण जीव जाति को जीवित रहने के लिए उत्साहित करता है। इच्छा की कोई सीमा नही होती और न ही यह कभी मन में संतोष को आने देती है। इच्छा हर व्यक्ति में अलग-अलग या एक समान हो सकती है जैसे: यदि आप अपनी कक्षा में प्रथम आना चाहते है तो हो सकता है यह इच्छा आपके सहपाठी भी रखते हों। अन्य अर्थ: कामना: मन ही मन कुछ पाने की चाह का भाव का...

मेघ आए, पाठ योजना

कक्षा – नवमीं,पाठ योजना पुस्तक – क्षितिज (भाग-1) विषय-वस्तु – कविता प्रकरण – ‘ मेघ आए शिक्षण- उद्देश्य :- ज्ञानात्मक-पहलू कविता का रसास्वादन करना। कविता की विशेषताओं की सूची बनाना। कविता की विषयवस्तु को पूर्व में सुनी या पढ़ी हुई कविता से संबद्ध करना। अलंकारों के प्रयोग के बारे में जानकारी देना। नए शब्दों के अर्थ समझकर अपने शब्द- भंडार में वृद्धि करना। साहित्य के पद्य–विधा (कविता) की जानकारी देना। छात्रों को कवि एवं उनके साहित्यिक जीवन के बारे में जानकारी देना प्राकृतिक सौंदर्य तथा जीव-जंतुओं के ममत्व, मानवीय राग और प्रेमभाव से परिचित कराना। कौशलात्मक-पहलूू स्वयं कविता लिखने की योग्यता का विकास करना। प्रकृति से संबंधित कविताओं की तुलना अन्य कविताओं से करना। मेहमानों की तुलना बादलों से करना। बोधात्मक-पहलू प्राकृतिक सौंदर्य एवं जीव-जगत के व्यवहार पर प्रकाश डालना। रचनाकार के उद्देश्य को स्पष्ट करना। कविता में वर्णित भावों को हॄदयंगम करना। प्रकृति तथा जीव-जंतुओं के प्रति आसक्ति –भाव जागृत करना। प्रयोगात्मक-पहलूू कविता के भाव को अपने दैनिक जीवन के व्यवहार के संदर्भ में जोड़कर देखना। इस क...

Creative Topics अरुणा कालिया : प्लास्टिक का अंत

Creative Topics अरुणा कालिया : प्लास्टिक का अंत : कोशिशें खुद से खुद को मनाने की कोशिशें खुद से खुद को जताने की कोशिशें पस्त मत होने देना खुद से खुद को  यकीं दिलाने की , बहुत सी बातें ब...

कुछ पल अपने लिए

Aruna Kalia  मेरे अल्फाज़, कुछ पल अपने लिए ...., खुद को भी कभी महसूस कर लिया करो...!  कुछ रौनकें खुद से भी होती हैं...!  सुन लिया करो, खुद को भी कभी|  खुशी की धुन उसमें भी होती है.....!  अपने लिए भी कभी, कुछ पल निकाला करो|  तुम्हारी खुशी पर भी, कुछ विशेष निर्भर करते हैं|  उनकी ख़ुशी के लिए ही, जी लिया करो ,  खुद की खुशी भी जरूरी होती है....!  माना परिवार सर्वोपरि होता है,  परिवार की खुशी के लिए, खुद भी चमका करो| परिवार की चमक, तुमसे ही होती है...!  चीनी सी मिठास, मुस्कान में शामिल करो, मुस्कान में मिठास तुमसे ही होती है..!|