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सावन

आज सावन का पहला रविवार है मन झूमने को तैयार है। सड़कों पर पानी भरा है यहाँ वहाँ जहाँ तहाँ पानी ही पानी है फिर भी मन मोर बनने को तैयार है। आज सावन का पहला रविवार है। मन झूमने को तैयार है। कहीं नाली रुकी हैं प्लास्टिक की थैलियाँ फँसी पड़ी हैं किसी को नहीं पड़ी है सड़क रुकी पड़ी है मेरी बला से । हर कोई निकल रहा सोचकर मन बेबाक़ है। फिर भी मेरा मन उड़ने को बेकरार है । आज सावन का पहला रविवार है। मन झूमने को तैयार है।

सफलता की चाह

सफलता की चाह है ,यदि  नदी का अनुकरण करो। लक्ष्य की ओर दृष्टि रहे  ऊबड़खाबड़ पथ  अनदेखा कर  संकल्प दृढ़ रखो, मुश्किलें राह की  स्वत: हट जाएँगी ।  आगे बढ़ने की चाह, यदि  नदी का अनुकरण करो।  बनाए रखो धैर्य मन पर  अधीर न हो विलंब होने पर  राह में रुकना भी पड़े,यदि  नदी का अनुकरण करो ।  राह आसान हो जाएगी  अपनी गति से  धीमि गति वाले पर  दृष्टि अवश्य रखना  हौसला पस्त हो जाए ,यदि  नदी का अनुकरण करो।  सागर की ओर रुख  कर ही लेता है  नदी का बढ़ता  निरंतर अथक प्रयास.  सफलता की चाह है यदि  नदी का अनुकरण करो|  लक्ष्य पर टिका रहे  कर्म तुम्हारा ,  फल कर्म-राह में  बिछ जाएगा  मंज़िलों तक पहुँच  बनाए रखना है कर्म हमारा,  फल तो स्वत: हमें  ढूँढ़ ही लेगा, बस मंज़िल तक  पहुँचने की चाह है,यदि  नदी का अनुकरण करो।