गुरु से मिलती हैं भाग्योदय करने वाली ये 3 शक्तियां ****************************************** धर्मग्रंथों की बातें अच्छे गुण और काम को ज़िंदगी में अपनाने की सीख देती हैं। इस पर अगर गुरु का आशीर्वाद मिल जाए तो फिर मुश्किल से मुश्किल लक्ष्यों को पाना भी आसान हो जाता है। शास्त्रों में गुरु की महिमा और स्थान सर्वोपरि बताया गया है। “मोक्षमूलं गुरुकृपा” शास्त्रों की यह बात उजागर करती है कि गुरु कृपा मुक्ति तक देने वाली सिद्ध होती है। वहीं, शास्त्रों में ही यह भी बताया गया है कलियुग में पाप कर्मों का बोलबाला होगा। आज के दौर में फैली व्यक्तिगत और सामाजिक अशांति और कलह इस बात को साबित भी करती है। ऐसे वक्त में अच्छे गुरु का मिलना व जुड़ना ही सबसे बड़ा सौभाग्य बताया गया है। इसलिए अगर एक साधारण इंसान ज़िंदगी में शांति और सुख लाना चाहता है तो श्रद्धा के साथ ही धर्मग्रंथों में बताई गुरु चरित्र से जुड़ी 3 खास बातों पर भी जरूर विचार करें। बाद किसी धार्मिक या आध्यात्मिक गुरु की शरण ले, ताकि गुरु व गुरु सेवा की श्रद्धा, निष्ठा व मर्यादा आहत न हो। हिन्दू पंचांग के मुताबिक 12 जुलाई को ...
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गायत्री मंत्र का वर्णंन-- ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्यः धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् गायत्री मंत्र संक्षेप में गायत्री मंत्र (वेद ग्रंथ की माता) को हिन्दू धर्म में सबसे उत्तम मंत्र माना जाता है। यह मंत्र हमें ज्ञान प्रदान करता है। इस मंत्र का मतलब है - हे प्रभु, कृपा करके हमारी बुद्धि को उजाला प्रदान कीजिये और हमें धर्म का सही रास्ता दिखाईये।यह मंत्र सूर्य देवता (सवितुर) के लिये प्रार्थना रूप से भी माना जाता है। हे प्रभु! आप हमारे जीवन के दाता हैं। आप हमारे दुख़ और दर्द का निवारण करने वाले हैं, आप हमें सुख़ और शांति प्रदान करने वाले हैं, हे संसार के विधाता हमें शक्ति दो कि हम आपकी उज्जवल शक्ति प्राप्त कर सकें कृपा करके हमारी बुद्धि को सही रास्ता दिखायें। मंत्र के प्रत्येक शब्द की व्याख्या गायत्री मंत्र के पहले नौं शब्द प्रभु के गुणों की व्याख्या करते हैं ॐ = प्रणव भूर = मनुष्य को प्राण प्रदाण करने वाला भुवः = दुख़ों का नाश करने वाला स्वः = सुख़ प्रदाण करने वाला तत = वह, सवितुर = सूर्य की भांति उज्जवल वरेण्यं = सबसे उत्तम भर्गो = कर्मों का उद्धार करने व...