संदेश

जून, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

इंसान इंसान से दूर हुआ

कभी कोई मजबूरी रही होगी कभी कोई हादसा हुआ होगा तभी इंसान ख़ुदग़र्ज़ बना होगा जज़्बे- काफ़िला लफ़्ज-नश्तरों से कभी तो बेइंतहा घायल हुआ होगा। तभी इंसान इंसान से दूर हुआ होगा। समय की मलहम ने अब चेताया है इंसान अपने आप से लज्जाया है ग़लती का अहसास ख़ुद ने करवाया है अब जब ज़मीर अपना शोर मचा रहा ज़ोर ज़ोर से इंसान को झकझोर रहा। समय की पुकार है ग़लती हुई सुधार करो सुधार करो, सुधार करो, सुधार करो। अरुणा कालिया

अबला नहीं सबला

जन जन में रच रही अपनी सुंदरतम बात कर्म शील बन रही कर कर लंबे हाथ। इतिहास रचा स्वयं बन बन सबला अवतार झांसी की रानी तू अवतरित उठाकर तलवार। कलाई पहनें चूड़ियां भर भर कर श्रृंगार आस न छोड़ी तूने कितना भी हो अपमान। स्वाभिमानी है तू सबला बनने की ठानी जग समझे लाख अबला शक्ति तुझमें निराली