दोस्त अन्मोल है लज्जयते च सुहृद् येन , भिद्यते दुर्मना भवेत्। वक्तव्यं न तथा किञ्चिद् विनोदे s पि च धीमता।। अर्थात् अगर आप बुद्धिमान हैं , बड़ी अच्छी बात है , गर्व की बात है परन्तु इसका अर्थ यह बिल्कुल नहीं कि आप अपनी बुद्धिमानी से किसी को भी नीचा दिखाएँ या उसकी हँसी उड़ाएँ। कहने का तात्पर्य यह हैकि अगर आपके सामने आपका मित्र है तो कभी भी मज़ाक में भी ऐसी बात न कहें , जिससे कि आपका मित्र लज्जित हो और दुःखी होकर आपसे दूर हो जाए क्योंकि सच्चा दोस्त मुश्किल से मिलता है,इसीलिए कहा गया है कि दोस्त अनमोल है। दोस्त को अनमोल इसलिए कहा भी कहा गया है क्योंकि सच्चा दोस्त हमारी अच्छाइयों के बदले कमाया हुआ ईश्वरीय फल है जिसे किसी भी कीमत में आंका नहीं जा सकता,सम्पत्ति,या कोई भी लौकिक वस्तु ख़रीदी या बेची जा सकती है।सच्चा दोस्त कमाने में एक ज़िंदगी भी छोटी पड़ सकती है,परन्तु दोस्त को रुष्ट करने में माथे पर आया नाख़ुशी का एक बल ही काफी है। इसलिए ध्यान में रखना अत्...