देववाणी
दविद्युतत्या रुचा परिश्तोभन्त्या कृपा | सोमाः शुक्रा गवाशिरः | अर्थात,सौम्य शुद्ध तथा इन्द्रियों को वश में रखने वाले उपासक जन प्रकाशभान क्रान्ति और सर्वत्र प्रशंसित सामर्थ्य से युक्त रहा करते हैं | सरल भाषा में अर्थ ः जो शुद्ध और पवित्र मन रखता है,तथा इंद्रियों को भटकने से बचा लेता है, ऐसा व्यक्ति वास्तविकता में ईश्वर का सच्चा उपासक है ,भले ही वह नियमित रूप से पूजा-पाठ करे या न करे। ऐसा व्यक्ति समाज में चहुँ ओर ज्ञानरूपी प्रकाश को फैलाता है तथा ऐसा व्यक्ति सब ओर से प्रशंसा प्राप्त करता है और सब सुविधाओं से युक्त जीवन व्यतीत करते हैं।